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जांजगीर से मस्तूरी वाया मूलमुला

कांग्रेस को निपटाने रचा गया चक्रव्यू

24hnbc.com
समाचार -
बिलासपुर, 3 जून 2023। छत्तीसगढ़ी नहीं मध्य प्रदेश की राजधानी में जांजगीर क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व है। समय-समय पर अलग-अलग तरीके से कांग्रेस को निपटाने के लिए जांजगीर की भूमि बीएसपी के लिए खाद पानी का काम करती है। युवा कांग्रेस बिलासपुर में जो झगड़ा फसाद हो रहा है उसके पीछे एक स्लीपर सेल काम कर रहा है। आपने आतंकवादी नक्सली संगठनों के स्लीपर सेल के बारे में तो सुना होगा पहली बार हम आपको राजनीति के स्लीपर सेल का प्रत्यय समझा रहे हैं। इसे समझने के लिए शासकीय कर्मचारियों की राजनीति को समझना जरूरी है। अभी प्रदेश के दोनों राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा में वीआरएस लेकर या स्वता रिटायर होकर राजनीतिक दल में प्रवेश सहज घटना माना जाता है पर असल में ऐसा नहीं है। हमारे इस विश्लेषण के बाद यह हो सकता है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी का राजनीतिक दल में प्रवेश आसान ना हो और राजनीतिक दल उस सरकारी कर्मचारी के बारे में खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करने लगे। मस्तूरी में युवा कांग्रेस के दो गुटों के बीच जो कुछ हो रहा है उसके गहरे मायने हैं। इसके पूर्व ऐसे गुटीय झगड़े जांजगीर में खूब हुए और देखते-देखते जांजगीर कांग्रेस के लिए कठिन राजनीतिक स्थान बन गई और अब ऐसी ही ताकतें बिलासपुर, मस्तूरी और बेलतरा क्षेत्र में अपनी सेंधमारी कर रही है। कम ही लोगों को पता होगा कि भारतीय राजनीति के एक बड़े रणनीतिकार मान्यवर कांशीराम राजनीति में आने के पूर्व क्लास वन अधिकारी थे वे अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने जातिवाद का दंश झेला बताया जाता है कि अंबेडकर जयंती की छुट्टी न मिलने से उन्होंने कहा था छुट्टी ना देने वालों की छुट्टी करके ही दम लूंगा। और धीरे-धीरे भारतीय राजनीति में शासकीय कर्मचारियों के बीच बामसेफ (Bancef) ने जन्म लिया इस का फुल फॉर्म बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी एंप्लाइज फेडरेशन होता है। विधिवत जिसका जिसका जन्म 6 दिसंबर 1978 बोट क्लब दिल्ली में हुआ आप कहेंगे दिल्ली के संगठन का जांजगीर और छत्तीसगढ़ बिलासपुर से क्या लेना देना पर ऐसा है काशीराम की राजनीतिक कर्मभूमि जांजगीर बना हालांकि उन्हें जांजगीर में चुनावी सफलता नहीं मिली पर उन्होंने बामसेफ का एक पूरा कैडर मध्य प्रदेश की राजनीति में जो आज छत्तीसगढ़ है सक्रिय कर दिया 2001-2003 अजीत जोगी ने जब बसपा को ऊपरी तौर पर नुकसान पहुंचाया उसका सफाया किया तब बसपा में एक स्लीपर सेल इसी तरह बन गया और कांग्रेस में शामिल होने वाले सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी कहीं ना कहीं बामसेफ के आदर्शों पर चलते हैं। बामसेफ को वैसा ही समझा जा सकता है जैसे बीजेपी के लिए आरएसएस है। अब यह बात छुपी नहीं है कि बीजेपी और बीएसपी अंदर से हाथ मिला चुके हैं युवा कांग्रेस के अल्प ज्ञानी युवाओं को राजनीति की यह गुड बात समझ ही नहीं आ सकती कि बिलासपुर युवा कांग्रेस के झगड़े अचानक मस्तूरी कैसे पहुंच गए। स्लीपर सेल आराम से अपने हिडेन एजेंडे में लगा है बामसेफ के बाद राजनीति में डी एस 4 आया। जिसका सीधा अर्थ है ठाकुर, बनिया, ब्राह्मण, छोड़ शेष है डीएस 4 मस्तूरी के पहले यह पूरा प्रयोग जांजगीर में आजमाया जा चुका है और अब यही फार्मूला मस्तूरी में खेला जा रहा है। पिछले एक हफ्ते की राजनीतिक सरगर्मी को देखें भाजपा के ओम माथुर अचानक ही 70 से अधिक सीटें जीत लेने का दावा यूं ही नहीं कर रहे हैं उसके पहले छत्तीसगढ़ के आरक्षित सीटों पर नीला रंग तेजी से सक्रिय हुआ। जितने प्रभावशाली तरीके से नीले रंग ने काम किया कमल के चेहरे पर धीरे-धीरे मुस्कान बढ़ती चली गई और यही कारण है कि नीले रंग के चलते गेरुआ रंग अब मुस्कुराता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस के रणनीतिकार जब तक इस चक्रव्यू को समझें नीला रंग केसरिया के साथ मिलकर अपना काम कर चुका होगा।