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राजनीति में भक्ति से पैदा होता है तानाशाह

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समाचार -
बिलासपुर, 17 मार्च 2023। (24hnbc) 
डॉक्टर अंबेडकर ने एक बार संविधान सभा में कहा था इस नवजात प्रजातंत्र के लिए यह बिल्कुल संभव है कि वह आवरण प्रजातंत्र का बनाए रखें परंतु वास्तव में वह तानाशाही हो जाए। भारत में चुनी हुई सरकार इन दिनों कुछ ऐसे ही राह में चल पड़ी है बिना ब्रेक वाली गाड़ी में एक्सलेटर चला दिया जाए तो क्या नतीजा होगा बच्चा भी बता सकता है। डॉक्टर अंबेडकर ने तो बहुत पहले ही बता दिया था कि भारत अगर हिंदू राष्ट्र बन गया तो देश के लिए सबसे बड़ी दुर्घटना होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1985 में बना हिंदू जन जागरण समिति और सनातन संस्था जैसे हिंदू वर्चस्व वाली संगठनों ने पिछले साल ऐलान किया 2025 तक हिंदू राष्ट्र बन जाएगा इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत तो हिंदू राष्ट्र बनेगा ही 10-15 साल में अखंड भारत बन जाएगा। अभी भारत के सरहदों के भीतर 140 करोड़ की जनसंख्या में कितने मुसलमान रहते हैं उसमें यदि पाकिस्तान के मुसलमान और बांग्लादेश के मुसलमान शामिल कर लिए जाएं तब चुनाव हो और फिर क्या भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आने का मौका मिलेगा ऐसे में मोहन भागवत जी की 10-15 साल में अखंड भारत की कल्पना के पहले अंकल टाइप लोग हिंदुओं से अपनी जनसंख्या बढ़ाने का अपील कर रहे हैं। दूसरी तरफ हम जिन्हें माननीय सांसद बोलते हैं उनमें से एक भाजपा के माननीय रवि किशन अपने ज्यादा बच्चों के लिए उस समय की सरकार को कोसते हैं की उसने जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों नहीं लाए। ऐसे में पता चलता है कि मामला केवल विरोधाभास का है और असली मुद्दों से जनता को भटकाए रखने का है। अब जनता के लिए असली मुद्दा बेरोजगारी, महंगाई, सेल कंपनियों का रक्षा सौदों में घुस जाना आदि पर चर्चा नहीं करनी है तो 1-1 लाख रुपया नवरात्रि के पूर्व दे दो और हिंदू राष्ट्र का आवाज कर दो. .... मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी कि बिना ब्रेक वाली गाड़ी अपने साथ पूरे देश को एक दुर्घटना की तरफ ले जा रही है इस गाड़ी में जो इंधन लगा है वह नफरत का है चालक सत्ता के नशे में धुत अखंड भारत की मृगतृष्णा दिखाकर तेज रफ्तार से दौड़ आई जा रही है आगे स्थित खतरनाक खाई दिखाई नहीं दे रही है कोई भी देश विनाश को मंजिल समझकर सफर पर नहीं निकलता। हमारे यहां भी विकास के वादे को सुनकर अच्छे दिन और 15 लाख की बात सुनकर जनता गाड़ी में बैठ गई अब विनाश के संकेत दिखाई दे रहे हैं। भीड़ द्वारा हत्या की खबरें आम है पर तेज चलती गाड़ी से उतरने की हिम्मत कौन करेगा। सरकार से वैसे ही सवाल नहीं किया जाना चाहिए जैसे संदेह के जूते पहनकर बागेश्वर धाम नहीं जाते। जनता जिसमें किसान भी शामिल है बातचीत किए बिना उसका भला करने के लिए कृषि कानून बना दिया जाता है, जनता से बिना पूछे नोटबंदी कर दी जाती है। रात 12:00 बजे दूसरी स्वतंत्रता के नाम पर जीएसटी ठोक दी जाती है। लेबर कोर्ट बदल दिया जाता है यहां तक कि संदेह होने मात्र पर लाखों लोगों को नागरिकता से हटाकर डिटेंशन सेंटर पर रख दिया जाता है। और सब काम देश का शीर्ष नेतृत्व सिर्फ कपड़े से पहनावे से पहचान कर कर देता है। कोविड मे हमारी गंगा सब वाहिनी बन जाती है पर हमें लाज नहीं आती, हमारे देश में कठुआ कांड, उन्नाव कांड, आसाराम बापू कांड, राम रहीम कांड इसलिए हुए कि हमारी गाड़ी पर तो ब्रेक है ही नहीं तब हम हर चेतावनी को क्या समझे। 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान के पहले मसौदे को रखा गया, उन्होंने कहा यहां पर मैं अपनी बात समाप्त कर देता परंतु हमारे देश के भविष्य के बारे में मेरे मन में इतनी चिंता है कि मैं इस विषय पर कुछ कहना चाहता हूं..... उनकी चिंता थी संविधान के बावजूद भारत में तानाशाही प्रजातंत्र का स्थान न ले ले। भाजपा नेता जब चुनाव में महा विजय को लोकतंत्र बताते हैं सवाल या मतभेद रखने वालों को लोकतंत्र का दुश्मन बताते हैं विपक्ष मुक्त भारत के लक्ष्य की घोषणा करते हैं तब अंबेडकर की चेतावनी खरी साबित होती है। अंबेडकर ने कहा था अपनी आजादी को एक महानायक के चरणों में समर्पित ना करें उस पर इस हद तक विश्वास न करें इतनी शक्तियां प्रदान न कर दें कि वह लोकतांत्रिक नष्ट करने के काबिल हो जाए। वर्तमान में यही हो रहा है संसद, विधायिका, न्यायपालिका, पुलिस, अदालत, चुनाव आयोग, जांच एजेंसी, सरकारी बैंक सब एक-एक करके नष्ट किए जा रहे हैं। संस्थाओं की आजादी को खत्म किया जा रहा है यह भक्ति वाद का चरम है। आज तानाशाही उल्का पिंड के समान दौड़ रही है तबाही से बचने का रास्ता जनता को ही खोजना है बेलगाम गाड़ी के चालकों की बत्ती छोड़नी होगी। अपनी आजादी किसी के चरणों में समर्पित नहीं करनी है अपने हाथ में रखनी हैं गाड़ी का स्टेरिंग नक्शा और लक्ष्य स्वयं तय करना है किसी तानाशाह के जुमलो मे नहीं फसना है।