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प्राधिकृत और परिसमापक दोनों को मिल रहा तेल, यही है लगरा का खेल

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समाचार -
बिलासपुर, 31 मई 2023। बिलासपुर के सहकारिता पंजीयक कार्यालय का यह निराला खेल है जिस सहकारी समिति से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होती वहां मिनटों में प्राधिकृत अधिकारी अपना कार्यभार संभाल लेते हैं। किंतु जहां पर मिलने की संभावना रहती है मिलता जाता है वहां पर ना तो प्राधिकृत अधिकारी कार्यभार संभालते हैं ना ही परिसमापक । सामान्य जन इसे आसान भाषा में समझे जब कभी भी किसी सहकारी समिति में आर्थिक अनियमितता पाई जाती है तब उसे समिति पर प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाती है। इससे हटकर परिसमापक तब किसी सहकारी समिति पर बैठाला जाता है जब सहकारी समिति का कार्यकाल पूरा हो चुका हो और पदाधिकारी नए चुनाव के लिए प्रस्ताव प्रेषित नहीं किए हो ऐसे में परिसमापक की ही यह जिम्मेदारी होती है कि वह सहकारी समिति के आर्थिक लेनदेन निष्पादित करें और यदि हो सकता है तो नया निर्वाचन कराएं। पर बिलासपुर स्थित कोयला कर्मचारी गृह निर्माण कल्याण सहकारी समिति लगरा में लगातार लगभग 18 महीने से प्राधिकृत अधिकारी फिर परिसमापक नियुक्ति का खेल चल रहा है पर किसी ने भी कार्यभार नहीं संभाला। इस संदर्भ में डीआर के आदेश पर जब कभी भी इस कार्य के लिए जिसे नियुक्त किया गया उसका हमने पक्ष लेकर समाचार प्रकाशित किया वर्तमान में नितिन घोरे को डीआर ने यह काम सौंपा। नियुक्ति आदेश से कई दिन तक धान खरीदी उनका मुख्य विषय था लिहाजा उन्होंने सहकारी समिति की ओर ध्यान नहीं दिया बाद में कार्यवाही रजिस्टर में 1 टिप दर्ज की और प्रक्रिया को आधा करके छोड़ दिया। उनका कहना है कि कार्यभार तभी होगा जब अध्यक्ष उन्हें कार्यभार देंगे पर यहां पर तकनीकी प्रक्रिया भिन्न हैं। कोयला कर्मचारी सहकारी समिति के निर्वाचित पदाधिकारियों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और कार्यकाल पूरा होने के कारण ही परिसमापक नियुक्त किया गया है ऐसे में निर्वित्तमान अध्यक्ष से परिसमापक से कार्यभार कैसे ले सकता है उसे तो सहकारी समिति के प्रबंधक से कार्यभार प्राप्त होना चाहिए नियम यह भी कहता है कि परिसमापक अधिकारी दैनिक समाचार पत्र में एक सूचना प्रकाशित करके भी सहकारी समिति का कार्यभार ग्रहण कर सकता है पर यहां पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा। सूत्र बताते हैं कि लगरा सहकारी समिति में व्यापक स्तर पर गोलमाल है और जिस गुट का यहां पर दबदबा है वह नहीं चाहता कि फिर से निर्वाचन हो और चुनाव प्रक्रिया से अन्य कोई कार्यभार ग्रहण करें। कहने वाले तो यहां तक दावा करते हैं कि तमाम कानूनी पचडो में पड़े होने के बावजूद इस कॉलोनी के भीतर ईडब्ल्यूएस की आरक्षित 22 एकड़ भूमि पर पिछले 10 वर्षों से खेती हो रही है और उसी से अर्जित आय सदस्यों के बीच बांट दी जाती है। ऐसी ही कई आर्थिक अनियमितता यहां पर हो रही है और उसी आर्थिक अनियमितता के चलते समिति के पदाधिकारी कभी भी ना तो प्राधिकृत अधिकारी का होना या परिसमापक का आना पसंद करते हैं डीआर जिस किसी को भी यह जिम्मेदारी देता है उसके यहां दक्षिणा पहुंचना निश्चित प्रारंभ हो जाती है यहां तक कि एक सेवा निर्वित प्राधिकृत अधिकारी सहकारी समिति लगरा के कानूनी सलाहकार भी बन गए हैं और लगरा के अतिरिक्त उन्होंने मोपका कि एक सहकारी समिति को भी अपनी कानूनी राय पदाधिकारियों के पक्ष में देना प्रारंभ कर दिए हैं तभी तो वर्षों से भूखंड ना पाने वाले लाभार्थी आज भी अपने न्याय से वंचित हैं।