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समझे ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग के बीच का अंतर, कहां कैसा है कानून

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समाचार -
बिलासपुर, 21 नवंबर 2022। इन दिनों ऑनलाइन गेमिंग और डिजिटल गैंबलिंग को रेगुलेट करने के लिए राष्ट्रव्यापी कानून की मांग की जा रही है समझते हैं की ऑनलाइन गैंबलिंग और गेमिंग पर भारत में क्या कानून है और यह कैसे एक दूसरे से भिन्न है। कानून की नजर में गेमिंग और गैंबलिंग के बीच का अंतर स्किल एलिमेंट याने कौशल तत्व को लेकर है। कानून के नजरिए से ऐसे ऑनलाइन गेम जिनके लिए स्क्रील की जरूरत नहीं होती उसे गैंबलिंग एक्टिविटीज माना जाता है । नाती गेमिंग एक्टिविटी पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 अधिनियम के तहत सार्वजनिक जूआ के लिए दंड तय किया जाता है अधिनियम की धारा 12 में कहा गया है कि यह दंड मात्र कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल पर लागू नहीं होंगे कम से कम कानून के तहत मुख्य अंतर यह है कि जिस गेमिंग में स्किल शामिल है उसे कानून के नजरिए से अनुमति दी गई है और गैंबलिंग पूरी तरह से मौके पर निर्भर है। 
परिभाषा के अनुसार भले ही स्किन एलिमेंट्स के अनुसार गेमिंग और गैंबलिंग में अंतर किया जाता है लेकिन वास्तव में कानूनी तौर पर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसमें से कौन-कौन से गेम शामिल है। केंद्री रूप से ऐसी कोई लिस्ट नहीं है जिसमें प्रतिबंधित गेमो को शामिल किया गया। भारत में केवल एक केंद्रीय कानून है जो सभी तरह की गैंबलिंग को नियंत्रित करता है इसे पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 के नाम से जाना जाता है। जो कि अत्यधिक पुराना है और डिजिटल केसिनो, ऑनलाइन गैंबलिंग, ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों से निपटने में असरकारक नहीं है इसलिए पृथक से नए केंद्रीय कानून की मांग की जा रही है। भारत में जूआ काफी हद तक राज्य का विषय है इसलिए ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए कुछ राज्यों में विशिष्ट कानून है और कुछ में नहीं दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में पब्लिक गैंबलिंग एक्ट को कुछ संशोधन के साथ अपनाया है वही सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, दमन, गोवा में पब्लिक गैंबलिंग को रेगुलेट करने के लिए विशिष्ट कानून बनाए हैं क्योंकि ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग नया बढ़ता हुआ सेक्टर है।