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पहले मरीज के शरीर को डालो खतरे में फिर निजी क्षेत्र में होगा कायाकल्प बिल्हा की सच्चाई
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बिलासपुर, 6 मार्च 2024।
बिल्हा 50 बिस्तर वाला अस्पताल में आज एक टीम निरीक्षण करने आई थी। 1 साल पहले भी आई थी, खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में लगे फोटोग्राफ बताते हैं कि इस अस्पताल को कायाकल्प के बहुत से पुरस्कार मिले हैं। असल में इस अस्पताल के डॉक्टर पहले मरीज की काया को खतरे में डालते हैं और फिर किसी निजी अन्य अस्पताल में उसका कल्प होता है। पुरस्कार कार्यक्रम का प्रमाण पत्र उन्हें मिलता है। अस्पताल भवन में सूचनाओं का डिस्प्ले बड़े शानदार तरीके से हैं पर उन सूचनाओं के लिए उत्तरदाई कोई नहीं है। किशोर स्वास्थ्य परामर्श के लिए भी इस अस्पताल की प्रशंसा की जाती हैं। पर इस कक्ष में ना तो डॉक्टर ना ही ही परामर्शदाता बैठता है। निश्चित ही जब कभी कोई निरीक्षण दल आता होगा सरकार सुरक्षित मातृत्व के लिए बहुत सी योजना के तहत गर्भवती माता और शिशु दोनों की हिफाजत होती है। बिल्हा में इन दोनों योजनाओं का बाजारीकरण हो गया है।
अस्पताल की गायनिक निजी स्तर पर डाक्टरी की दुकान चला रही हैं। इस कक्ष में बतौर गायनिक जो दूसरा नाम दर्ज है उन्हें प्रशासकीय कार्य और सरकारी योजनाओं के बाद ओपीडी में बैठने का वक्त नहीं है। इसलिए एक डॉक्टर की मनमानी खुलकर चलती है।
हमर लैंब में केवल सामान्य जांच और बाकी सब जांच आउटसोर्सिंग के साथ, गैर जरूरी सोनोग्राफी का खेल चलता है। अस्पताल में डॉक्टरों के बीच जबरदस्त गुटबाजी और परिवार वाद है। जिसके चलते मरीज का हित आखरी बात है। हर डॉक्टर का एक राजनीतिक आका है जिसके चलते डॉक्टर अपने एजेंडे में लगे रहते हैं।