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अगस्त माह में मस्तूरी क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग ने किया था दौरा, और अब फर्जी डॉक्टर का कारनामा निकला बाहर

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर, 6 सितंबर 2022 । साल भर में आधा दर्जन से ज्यादा मौत झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से हो जाती है, और किसी घर का कमाऊ पूत या पुत्री के गुजर जाने के बाद पुलिस प्रशासन तो अपनी कार्यवाही तो करता ही है पर प्रश्न स्वास्थ्य विभाग के उस टीम पर लगता है, जिस पर इन डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करने की जिम्मेदारी है। मस्तूरी थाना क्षेत्र अंतर्गत वेद परसदा 31 अगस्त को हेतराम पटेल पेशे से मजदूर गांव के फर्जी चिकित्सक निखिल विश्वास के आवास पर इलाज करवाने गया था। जहां पर फर्जी डॉक्टर ने उसे एक इंजेक्शन लगाया जिसके बाद युवक की तबीयत लगातार खराब होती गई इस बीच वह मस्तूरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा जहां से उसे मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल चुका है। थाना मस्तूरी ने शिकायत दर्ज कर ली है। अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में अंतिम सप्ताह में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मसूरी मसूरी क्षेत्र में फर्जी डॉक्टरों के क्लीनिक पर छापे मारे थे किंतु इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग ने कभी भी विज्ञप्ति जारी करके यह नहीं बताया कि किस-किस क्लीनिक पर कार्यवाही की गई। कुछ फर्जी क्लीनिक बताते हैं कि विभाग का तो हफ्ता और मासिक खर्चा बंधा है साल भर में 1 से 2 बार फर्जी क्लिनिक वालों से शपथ पत्र भी लिया जाता है जिसमें यह उल्लेख रहता है कि क्लीनिक चलाने वाला अपनी पद्धति के अनुसार ही इलाज करेगा ऐसे शपथ पत्र का यही मायने है कि शपथ पत्र के नीचे 500 के कई नोट दिए गए और संबंधित व्यक्ति को क्लीनिक संचालन की अनुमति दे दी गई। वेद परसदा के जिस डॉक्टर के क्लीनिक का यह हिस्सा है के यहां नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का इलाज हो जाता है। फर्जी चिकित्सक लगभग 10 -15 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ आया था एक छोटे से बेजा कब्जे से क्लीनिक शुरू हुआ और आज 3 मंजिल का मकान तान बैठा है। आस-पास के गांव में खेती की जमीन भी खरीद डाल है खेती का काम यही के लेबर करते हैं और फर्जी डॉक्टर और परंपरा अनुसार एक से अधिक घर भी बताया हुआ है पर यह छत्तीसगढ़ है और यहां केवल नारा लगता है छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया जबकि इस सीधे-साधे प्रदेश का और प्रदेश वासियों का दोहन तो बाहरी ही करते हैं।