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रोड की लेव्ही खत्म, अब रेलवे कि साइडिंग से हो रहा खेल

रेलवे साइडिंग से कोयले का खेल, करोड़ों का वारे न्यारे

24hnbc.com
समाचार -
बिलासपुर, 16 जनवरी 2023। एसईसीएल द्वारा संचालित कोयला खदान और कोयला कारोबारियों की दुभीसंधि से कोयले की तस्करी का नया स्वरूप सामने आ रहा है जिसमें रेलवे के हाथ भी काले हो रहे हैं। कोल माइंस से रेलवे साइडिंग के मार्फत विभिन्न उपक्रमो में कोयले का नया खेल खेला जा रहा है अब सड़क मार्ग की जरूरत ही नहीं है। अनूपपुर जिले के बिजुरी स्थित जिंदल की कॉल रिकॉर्डिंग और अमलाई स्थित प्रमोद जैन की कॉल साइडिंग में यह खेल खेला जा रहा है। स्थानीय लोगों के बताए अनुसार बिजुरी की जिंदल कोल साइडों में कोयले के परिवहन के साथ लोडिंग अनलोडिंग का पूरा ठेका दीपक गुप्ता के जिम्मे है इसी के निर्देश पर और संरक्षण में पूरा हेरफेर चल रहा है। नेटवर्क मध्य प्रदेश के विभिन्न कोल्डफिल्ड एरिया से होता छत्तीसगढ़ के जिलों में भी घुस गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरण, परिवहन सामुदायिक विकास निधि सब में बंदरबांट चल रहा है कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। रेलवे की साइडिंग में अवैध भंडारण को वैधता प्रदान कर दी जाती है साइडिंग में कभी भी खनिज के अधिकारी और कोल इंडिया के अधिकारी सत्यापन का कार्य ही नहीं करते यही तो खेल है जब ₹25 प्रति टन लेवी वसूली जा रही थी तो सब कुछ अवैध था अब यही खेल अवैध कोल भंडारण का रेलवे की साइडिंग में चल रहा है तो वैध हो गया। या यूं कहें कि जो खेल राज्य सरकार के भ्रष्ट अधिकारी कर रहे थे सो गलत था अब केंद्र सरकार के संरक्षण में चल रहा है तो ठीक है। कोल इंडिया के जिम्मेदार अधिकारी सत्यापन करने जाते ही नहीं हैं कोयले का परिवहन माइंस से साइडिंग के लिए कितना हुआ कितना साइडिंग से रेल वैगन में डिस्पैच हुआ कितना वहां मौजूद है का सत्यापन नहीं होने से आसपास के माइंस के साथ ही छत्तीसगढ़ के नहेला बिलासपुर, चांपा की साइडिंग से आरओएम बड़ी मात्रा में सड़क मार्ग से पहुंचता है और उसे फिर उच्च ग्रेड का कोयला बताकर रेल के माध्यम से उपक्रम में भेज दिया जाता है ढाई महीने में छत्तीसगढ़ से चोरी छुपे कोयले के चार रैक इसी माध्यम से आए गए। छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में सीमेंट पावर प्लांट तथा अन्य बड़े उद्योग यही से कोयले की खरीदी करते हैं। माइंस के बाद रेलवे साइडिंग से माल अंतिम पॉइंट तक पहुंचता है। बड़े उपक्रम कोयले के डी यो अलॉट होने के बाद अन्य काम स्थानीय ठेकेदार को दे देते हैं जो कोयला कोल इंडिया से क्रय करते हैं। उसकी ग्रेड और वर्तमान में जा रहे कोयले की ग्रेड को एक किया जाता है यही नहीं खरीदे गए कोयले की मात्रा निर्धारित होने के बाद कोल माइंस से कोयला उत्खनन के बाद अपने वाहनों से परिवहन कर रेलवे साइडिंग में रखना फिर रेलवे के वैगन में लोड करना खेल के बीच में स्थानीय कारोबारी अपना जुगाड़ बनाता है माइंड से कोयला ट्रक में लोड होने के साथ ही खेल शुरू होता है। क्रय की गई कोयले की ग्रेड से अच्छी ग्रेड का कोयला और अधिक मात्रा में कोयला उनके निजी वाहनों में लोड होता है और कोल साइडिंग पहुंचता है और कोल साइडिंग में लाकर आरओएम की मिक्सिंग होती है । स्टीम कोयला स्थानीय माइंस से साइडिंग लाया जाता है उसके बदले दोयम दर्जे का कोयला उपक्रम में भेज दिया जाता है। साइडिंग में रखा स्थानीय मान से आया स्टीम कोयला कि घर में प्रति टन हजारों रुपए का अंतर होता है ऊंची दरों में कोल कारोबारी अन्य को विक्रय कर देता है दूसरी तरफ माइंस से सेटिंग कर क्षमता से अधिक कोयला और शॉर्टेज के नाम से टनो कोयला धीरे-धीरे हजारों टन हो जाता है यह बिल्कुल मुफ्त की रेवड़ी है। इस पूरे खेल में माइंस के अधिकारी, साइडिंग, पुलिस और मीडिया के बीच 15% का बंटवारा होता है 80 से 85% की कमाई होती है जो कारोबारी हजम कर रहा है ।