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कल्कि अवतार वाले सीईओ का भारत

रिजर्व बैंक ने बढ़ाया रेपो रेट.....

24hnbc.com
समाचार :-
बिलासपुर, 30 सितंबर 2022। जैसे की उम्मीद थी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नेट रेपो रेट फिर से बढ़ा दिया साफ बात है बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण करने में आरबीआई और सफल है और उसके पीछे सीईओ साहब की गलत आर्थिक नीतियां हैं। अब जब देश में आर्थिक आपातकाल आहट ले ही रहा है तो जिसके हाथों में पिछले 8 साल से कारवां है उसके मास्टर स्ट्रोकस को याद तो किया नहीं जाएगा। आज की बात एक कहानी जो सच है फिर शुरू करते हैं। हमारे एक परिचित वर्ष 2014 -15 में नवरत्न कंपनी से रिटायर्ड हुए परिवार के सदस्यों के सलाह मशवरे से तय हुआ की गैस टंकी का दाम बढ़ रहा है इसे हर महीने निर्बाध रूप से प्राप्त करने के लिए एक एफडी कर दी जाए। उपलब्ध धनराशि भविष्य की कीमत का आकलन करते हुए ₹250000 का एक सअवधी जमा स्टेट बैंक में कर दी गई उस समय की ब्याज गणना के अनुसार 1500 रुपये के आसपास प्रतिमाह ब्याज प्राप्त होना शुरू हो गया। तत्कालीन गैस टंकी का दाम देने के बाद बड़ी धनराशि बच जाती थी जो अन्य जरूरतों पर खर्च होती थी धीरे-धीरे गैस टंकी का दाम बढ़ता गया और बाद में एफडी का ब्याज दर घटने लगा और अब आलम यह है कि प्रतिमाह लगभग 1100 रुपये ब्याज प्राप्त होता है टंकी के दाम में भी इतने ही हो गए हैं बैंक में पड़ा रुपए का मूल्य गिर गया। कहने का आशय साफ है कि परिवार चलाने का कोई भी गणित अब सही नहीं बैठ पाता। ढाई लाख जैसी रकम भी परिवार को गैस टंकी नहीं दिला सकती कल्पना करें सेवा निर्मित परिवारों की वे अपना किचन बिजली दवा जैसी जरूरतों को पूरा करते होंगे। 
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने 72 प्लस के लोगों को मार्गदर्शक मंडल में रखा था क्या उन्होंने इन परिवारों की कभी कोई सुध ली नहीं ली. ... केंद्र सरकार त्योहारों के पूर्व अपने कर्मचारियों को 4% डीए का झुनझुना थमा रही है इसके पीछे कारण परिवारों को राहत देना नहीं है बाजार जो ठंडा पड़ा है उसमें हलचल कैसे हो यह असल कारण है पर उम्मीद नहीं कि लोग इस पैसे को खर्च करने बाजार जाएंगे। आरबीआई रेपो रेट बढ़ा ले पर उद्योगपति हर हालत में कर्ज लेने तैयार है। 2021 में 244000 करोड़ का कर्ज लिया था और 2022 में चार लाख 95 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया इससे तो यही लगता है कि हर हालत में कब चाहिए। होलसेल महंगाई दर 10 से 25% तक है और रिटेल में भी इसका असर दिख रहा है आटा पूर्व की अपेक्षा 18% महंगा है। भाजपा जिन्हें अपना आदर्श मानती है उन अटल जी के नेतृत्व के समय $1 ₹45 पर था मनमोहन जी के समय यह 58 से 59 के बीच था अब दामोदर के समय 82 पर है बंटाधार तो हो गया 24% बढ़ गया। रिजर्व फंड से 640 बिलीयन डॉलर निकालकर कब तक देश चलेगा। कैपिटल , एक्सपेंडिचर 63% से ऊपर है। राज्यसीठाट बदल ही नहीं रहे हैं खर्च पर कोई कंट्रोल ही नहीं करना चाहते देश की 1526 योजनाओं में से 40% योजनाएं देरी से चल रही हैं 132 योजनाएं 1 से 12 महीने लेट हैं 118 योजनाएं 1 से 2 साल लेट है 173 योजनाएं 2 से 4 साल लेट हैं और 124 योजनाएं 5 साल लेट हैं इनमें से 393 योजनाएं अधोसंरचना निर्माण की है एक अनुमान के मुताबिक योजनाओं के ढीले होने से खर्च 4.5 लाख करोड़ का खर्च सरकारी खजाने पर बढ़ेगा संसद में कोई कुछ बोल नहीं सकता सरकार 100 बिलियन डॉलर आयात पर खर्च करती है एक्सपोर्ट इंपोर्ट का हिसाब किताब जम नहीं रहा है। अगस्त माह में ही देखें 18.27 बिलियन डालर का घाटा हुआ। एक समय हम कोयले का इंपोर्ट नहीं करते थे पर अब कर रहे हैं और इस पर 4504 मिलियन डॉलर खर्च होता है कच्चे तेल पर 61679 मिलियन डॉलर खर्च हुआ यह हिसाब केवल अगस्त महीने का है। पिछले साल अगस्त महीने में कोयले पर केवल 1049 मिलियन डालर खर्च हुआ था और इस वर्ष 4504 मिलियन डॉलर खर्च हुआ स्टील पर 3900 मिलियन डॉलर वनस्पति तेल 1300 से 800 मिलियन डॉलर आत्मनिर्भर भारत की कल्पना करें इलेक्ट्रॉनिक बूट्स पर हमने 7300 मिलियन डॉलर खर्च किया। रिजर्व कैरेंसी से एक माह में 26 बिलियन डॉलर कम हो रहा है हर दिन एक बिलियन डॉलर। लोन पटाने की स्थितियां बद से बदतर है शिक्षा लोन की वापसी 40% खराब हो गई है। ब्लैक मनी की स्थिति देखें 2000 का 9 लाख करोड़ गायब है नोटों में गिने तो यह 54 करोड़ नोट होता है। फिर से समझे 2000 के 54 करोड नोट बाजार से चलन के बाहर हैं इसी तरह 500 के 26 करोड़ नोट अर्थात 1000 करोड़ रुपया बाजार से गायब है क्या समझे यह सब नोट केवल एमएलए और एमपी खरीदने में लग गया या लगाया जाएगा अभी तो हिमाचल और गुजरात का चुनाव बाकी है सो तैयारी अय्याशी की चल रही है और आम आदमी 5 किलो मुफ्त अनाज पाकर आत्ममुग्ध है क्या यही है कल्कि अवतार. ...।