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यात्री को बकरा मानती है रेल

वंदे भारत सुविधा के नाम पर यात्री का काट रहा जेब

24hnbc.com
समाचार -
बिलासपुर, 18 जनवरी 2022। भारतीय रेल के लिए यात्री की हैसियत लगातार कमतर होते हुए समाप्ति की ओर है और ऐसा हो उसके पहले मंत्रालय सेठ के लिए यात्री को नीचे उड़ने पर आमादा है। एसईसीआर के जोन मुख्यालय बिलासपुर प्लेटफार्म नंबर एक समय लगभग 3:20 मिनट यात्री गाड़ी आई दरभंगा एक्सप्रेस कहां से कहां के बीच चलती है मायने नहीं रखता, आईआरसीटीसी के लिए मायने रखता है। रेल नीर का धंधा देखिए यात्रियों के चढ़ने के पूर्व ही दरवाजे पर बेशर्मी के साथ पानी की बोतलों को रख दिया गया है। यात्री जिसने आजादी के अमृत काल में पढ़ने वाले 26 जनवरी 2023 में जंग लेकर यात्रा टिकट जो कटा ली है यह पाप उसने कर डाला है, लिहाजा उसने अपने ही हाथों अपना गला रेलवे को सौंप दिया है। वह रेलवे की नजर में भारत का नागरिक नहीं है, यात्री भी नहीं है, ग्राहक भी नहीं है, वह तो बकरा है और कटना उसका धर्म है। दूसरा एम्बेसडर कार को जितना भी मॉडिफाई कर दो वह रेंजरोवर नहीं बन जाती यह बात हम सीईओ साहब के ड्रीम प्रोजेक्ट वंदे भारत ट्रेन के लिए कह रहे हैं यह ट्रेन बिलासपुर से नागपुर तक चलती है रेलवे ने इसके झूठे गुणगान करने के लिए कुछ यूट्यूब और को मोटी रकम दी है ऐसा लगता है क्योंकि हमारे पास जिन यात्रियों ने अपना अनुभव साझा किया वह ट्रेन की स्पीड और मिल रहे सुविधाओं से कतई संतुष्ट नहीं थे। हाल ही में विकास गर्ग नाम के यात्री ने नागपुर से बिलासपुर, बिलासपुर से नागपुर यात्रा की थी बताया घटिया सर्विस, सुबह होटल से बिना फ्रेश हुए निकल लिया आदत है गरम चाय पीकर पेट साफ होता है ट्रेन में चाय मिलेगी मजे से गर्म चाय पियूंगा और बायो टॉयलेट में निपट लूंगा, पर गर्म चाय नसीब नहीं हुई झक मार कर टॉयलेट गया पर भारतीय रेल वंदे भारत प्रीमियम किराया, वाईफाई, डिजिटल तकनीक केवल दरबारी मीडिया और जेब गर्म करा कर वीडियो बनाने वाले ब्लॉगर ट्रेन का बायो टॉयलेट तो काम ही नहीं कर रहा था। विकास को लगा पुराने इंजन को एयरोडायनेमिक लुक दे देने से यात्री सुविधा नहीं बढ़ती बिलासपुर स्टेशन पर रायपुर से अधिक फुटफाल है। पर यात्री सुविधा रायपुर के मुकाबले आधी है 65 करोड़ रुपए की लागत से नए कामों के लिए टेंडर का हल्ला है पर सच्चाई यह है कि स्टेशन को सेठ के हाथों सौंपने के पूर्व यात्रियों को ठगा जा रहा है उन्हीं के पैसे से स्टेशन पर बेमतलब की यात्री सुविधा देकर स्टेशन को बेचने के पूर्व सजाया जा रहा है। इतना ही नहीं प्लेटफार्म नंबर 1,3 और 5 पर फुटफाल एक बराबर है पर प्रसाधन की सुविधा में जमीन आसमान का अंतर है क्या यात्री को मूत्र विसर्जन की इच्छा प्रसाधन देखकर होती है या उसे यह पता होना चाहिए भैया, बहन जी एक नंबर पर ही निपट लो तीन और पांच में मूत्र विसर्जन का जुगाड़ नहीं है लगता है यात्री यात्रा को लेकर इतने भयभीत हो जाएं की वह यात्रा के वैकल्पिक इंतजाम को अपना लें। क्योंकि हमारा उद्देश्य यात्री से नहीं हमें तो ढुलाई ही करनी है क्योंकि हम लोक कल्याणकारी व्यवस्था में भरोसा नहीं करते तभी तो देश का महामहिम उपराष्ट्रपति कह रहा है संविधान बदल दो और रेलवे के अधिकारियों ने इस पर चलना शुरू कर दिया है।