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शराब दुकान हटे सब चाहते हैं पर आंदोलन स्थल पर धार्मिक रीति रिवाज का मखोल न उड़ाया जाए

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समाचार -
बिलासपुर, नवंबर 29। 
 
इन दिनों बंधवापारा में स्कूल के पास स्थित एक शराब दुकान हटाने के लिए क्षेत्रीय नागरिक आंदोलनरत हैं शराब की दुकान हट जाए इससे किसी को क्या विरोध हो सकता है पर धरना स्थल पर आंदोलन के लिए जिस तरह से सनातन धर्म, राष्ट्रीय झंडे का इस्तेमाल किया जा रहा है वह निश्चित ही आलोचना का केंद्र बनेगा। लोकतंत्र में आंदोलन नागरिक का अधिकार है आंदोलन के लिए नए-नए तरीके भी निकाले जाते हैं पर आंदोलन में किसी धर्म के रीति रिवाज को आंदोलन का टूल्स बनाया जाए यह उचित नहीं है। 
आज धरना स्थल पर एक युवक मोहन दास करम चंद्र गांधी जिनके नाम को देश में बड़ी आबादी सम्मान के साथ देखती व लेती है का गेटप बनाकर अंतिम संस्कार के लिए रची जाने वाली चिता पर लेटा है। चिता स्थल पर बास, भूसा, कंडा का इस्तेमाल हुआ लेटे हुए गांधी वेशभूषा धारी ने अपने सिरहाने बांस पर दो राष्ट्रीय झंडे लगाएं हैं और एक राष्ट्रीय ध्वज अपने छाती पर ओढ़ लिया है, इन आंदोलनकारियों को यह समझ नहीं आता कि हुई। चिता रस्ते किनारे नहीं बनाई जाती इनके लिए शासन प्रशासन ने नियम अनुसार मुक्तिधाम बनाए हैं। सनातन धर्म में जिन संस्कारों का लेखा है उनमें से अंतिम संस्कार विशेष है और हर उस व्यक्ति को प्राप्त होता है जिसने सनातन धर्म में जन्म लिया ऐसे में किसी को यह हक नहीं कि वह अंतिम संस्कार में बनाई जाने वाली चिता को आंदोलन का टूल्स बना ले साथ में अपनी चिता पर स्वयं ही राष्ट्रीय ध्वज और लेना अत्यंत निंदनीय है।